Subh Vichar in Hindi

Subh Vichar in Hindi – सर्वश्रेष्ठ शुभ विचार

Subh Vichar in Hindi – शुभ विचार

1) जिसके पास धैर्य है, वह जो कुछ इच्छा करता है, प्राप्त कर सकता है। – फ्रैंकलिन
2) दो धर्मों का कभी भी झगड़ा नहीं होता। सब धर्मों का अधर्मो से ही झगड़ा है। –  विनोबा भावे
3) मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ट व्याख्या हैं। – लॉक
4) दुःख भोगने से सुख के मूल्य का ज्ञान होता है। – शेख सादी

5) कुछ न कुछ कर बैठने को ही कर्तव्य नहीं कहा जा सकता। कोई समय ऐसा भी होता है,
     जब कुछ न करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य माना जाता है। – रवीन्द्रनाथ ठाकुर
क्रोध मुर्खता से शुरु होता है और पश्चाताप पर खत्म होता है।”
7) जब क्रोध आये, तो उसके परिणाम पर विचार करो। – कन्फ्यूशस
8) भार हल्का हो जाता है, यदि प्रसन्नतापूर्वक उठाया जाए।- ओविड
9) उस इन्सान से ज्यादा गरिब कोई नहीं है, जिसके पास केवल पैसा है। – एडबिन पग
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Shubh Vichar

10) अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है। इससे, दुसरे शब्दों में, यही प्रमाणित होता है कि बीते हुए कल की अपेक्षा आज आप अधिक बुद्धिमान हैं। – अलेक्जेन्डर पोप
11) जिस प्रकार बिना घिसे हीरे पर चमक नहीं आती, ठिक उसी तरह बिना गलतियाँ किये मनुष्य सपूर्ण नहीं बनता। – चीनी कहावत
12) चिन्ता ने आज तक कभी किसी काम को पूरा नहीं किया। – स्वेट मार्डन
 
महत्व इसका नहीं है कि हम कब तक जीते हैं;
          महत्त्व की बात तो यह है कि हम, कैसे जीते हैं।”
 
14) दोषभरी बात यदि यथार्थ है, तब भी नहीं करना चाहिए, जैसे अंधे को अंधा कहने पर तकरार हो जाती है। – डिजरायली
15) तीन विश्वासी मित्र होते हैं; वृद्धा पत्नी, बुढा कुत्ता और नकद धन। – फ्रैंकलिन
16) जो मित्रता में से आदर निकाल देता है, वह मित्रता का सबसे बड़ा आभूषण उतार देता है। – सिसरो
17) पैसेवाले पैसे की कदर क्या जानें ? पैसे की कदर तब होती है, जब हाथ खाली हो जाता है। तब आदमी एक-एक कौड़ी दाँत से पकड़ता है। – प्रेमचन्द
18) कर्तव्य ही ऐसा आदर्श है, जो कभी धोखा नहीं दे सकता। – प्रेमचन्द्र

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“धैर्य एक कडुवा पौधा है, पर पर फल मीठे आते हैं।”

20) मानसिक पीड़ा शारीरिक पीड़ा की अपेक्षा अधिक कष्टदायक होती  है। – साइरस
21) ध्येय जितना महान होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है। – साने गुरुजी

Hr manushy sukh chahta hai or sukh ki chahy me ek dushre ka bura v kr deta hai or sochta hai mujhe sukh Ki prapti ho jayegi..
Prntu yah sukh nahi hai Sachchha sukh to prem se do sabd bolne me milta hai bhagvan ke dauarjane se hi nahi sab kuchh milta
Dushro ki maddat krne se hi bhagvan suyam tum se kishi na kishi rup me jarur milta
Sirf hum sab ko mahsush krne ki jarurt hoti hai..

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